Sunday 21 February 2021

सुनो ना।

सुनो ना, 
उसके जाने का ग़म तो आज भी है पर इस बात का ज़िक्र मैं किसी से नहीं करता, 
क्या फ़ायदा जब उसे ही फर्क नहीं पड़ता ।

सुनो ना,
उसकी याद तो मुझे आज भी आती है और हर पल हर लम्हा मेरे दिल को सताती है,
पर क्या फ़ायदा इन यादों का भी जो सिर्फ मुझे ही उसकी आती हैं ।

सुनो ना, 
रातों को नींद तो आज भी आती है पर बिना पूछे वो भी मेरे ख्वाबों में चली आती है,
पर क्या फ़ायदा इन ख्वाबों का जिसमें वो मुझे मिल ही नहीं पाती ।

सुनो ना
उसको देखने का मन तो आज भी बहुत करता है, जी करता है वहीं पहले की तरह उसके सामने बैठ कर उसे निहारूं,
पर क्या फ़ायदा जब वो तो मेरा साया भी अपने आस पास नहीं चाहती है। 

सुनो ना,
मुलाकातें मैं आज भी बहुत लोगों से करता हूं कभी अकेले तो कभी उनके साथ चलता हूं,
पर क्या फ़ायदा साथ चलने का, उनसे भी तो तेरी ही बातें करता हूं ।

सुनो ना,
मैं दुनिया से आज भी तेरे लिए लड़ जाता हूं , कहीं ना कहीं तेरी परछाई को देखकर ही खुश हो जाता हूं,
पर क्या फ़ायदा इन खुशियों का भी जो मैं तेरे साथ नहीं बाट पाता हूं ।

सुनो ना,
इस दिल में तेरे लिए जगह आज भी खाली है, तू ही मेरे लिए सब कुछ थी ये बात मैंने मानी है,
पर क्या फ़ायदा जब तू इस बात से अनजान नहीं फिर भी मुझसे दूर है।

सुनो ना,
आज भी सुबह उठते ही उसका नाम दिमाग में आता है, रात को सोने से पहले उस से बात करने को दिल चाहता है,
पर क्या फ़ायदा जब इन अरमानों को दिल में रखने का जब मैं जानता हूं वो जा चुकी है।
दिलों दिमाग से उसे और उसकी यादों को निकालने की ठानी है, उसे भुला देने की कसम भी तो खाई है,
लेकिन क्या फ़ायदा, आज फिर अकेले में और सबके साथ बैठ कर भी वही ज़हन में आई है ।



अब कहां उसे मेरी याद आती होगी,
मेरी तरह एक दूसरे के साथ होने की कमी सताती होगी,
अब कहां वो मुझसे मिलना चाहती होगी ।
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अब तो जितना दिया खुदा ने उतना ही मुकम्मल लगता है,
उसके साथ बिताया दिन मुझे जिंदगी लगता है। 
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शायद अब यादें ही उसके साथ रहने का एक ज़रिया है,
उसे दूर रह कर भी ना देख सकूं, इतना दूर उसने कर दिया है।
सुनो ना,
उस से पूछना ना, क्या कभी मेरा खयाल उसके मन में भी आया, क्या मेरी ही तरह उसने कभी मुझे चहाया ?


- देवेश तिवारी

Sunday 14 February 2021

बस एक फौजी हूं ।

मैं एक फौजी हूं।
एक फौजी जिसके लिए मां का दिल तोड़कर मां की रक्षा करना ज़रूरी है,
एक फौजी जिसके लिए बाप का सहारा बनने से ज़्यादा अपना देश बचाना ज़रूरी है,
वो फौजी जिसने अपने छोटे भाई को वापस लौटने के भ्रम में रखा है और अपनी बहन की शादी में नाचने का झूठा वादा किया है।
मैं वो फौजी हूं जिसके लिए ये देश जान से प्यारा है
मगर कभी सोचता हूं,
इस देश के अंदर ही एक जंग है छिड़ी ।
हर वासी की अपनी अलग एक जात है, अपना अलग एक धर्म है।
इस देश को बचाने का क्या फायदा जब ये देश एक होना ही नहीं चाहता ।
मगर, मैं तो बस एक फौजी हूं 
ना हिन्दू ना ईसाई ना मुसलमान ना सिख,
हूं तो बस भारतीय और ये मातृभूमि ही मेरा धर्म है।


-निशांत भारतीय

Tuesday 9 February 2021

तुम्हें भूलना, खुदको खोना ।

तुम्हें भूलने के लिए, कुछ करना पड़ेगा

लगता है शहर छोड़, गाँव जाना पड़ेगा

 

रास्ते जो तेरे शहर को जाते हैं,

उन रास्तों को भूलना पड़ेगा

 

अलमारी में जो तस्वीरें हैं हमारी 

उन्हें भी जलाना पड़ेगा

 

तकिये तले जो ख़त तुम्हारे पड़े हैं,

उन खतों को भी मिटाना पड़ेगा

 

किताब के 106 पन्ने पर जो गुलाब पड़ा है,

उसकी खुशबू तक को उड़ाना पड़ेगा ।

 

जो सिर्फ तुम्हारे ही बारे में लिखती हैं

उस स्याही को भी मिटाना पड़ेगा

 

तुम्हें भूल जाने के लिए लगता है,

खुद को कहीं दफनाना पड़ेगा।

 

 

 

देवेश तिवारी

Thursday 4 February 2021

Smile that will make you cry !

Their laughter will make your heart melt, their strength will make a tough person cry, if you once see a person fighting Cancer, it will change your life forever.

For many Cancer patients and their families the experience of this disease is a painful one. It bring up a wide range of feelings they are not easy to deal with. The feelings of pain and sorrow become more intense with time. While our larger cultural conversation around Cancer focuses on survivors and miracles, we don’t hear the stories of dying Cancer patients. Cancer impact lives physically, emotionally and socially.

Talking about depression, is a common reaction associated with Cancer. We don’t even know what a patient go through while fighting for life against it. For people it is easy to write their thoughts and feeling down on paper but their loss and grief cannot be explained. Cancer being an emotional disease more than just physical pain, we should support the sufferers in every way possible. It will be helpful for them in coping with loss and grief as it is in celebrating the gains and successes.
To show our togetherness we celebrate Cancer day today in support with all those who are in their crucial time of life. We can work together to improve cancer control and achieve global targets to reduce premature mortality from Cancer. Donating our hairs for free to them is a big step itself. Showing our care, helping them or just simply making them smile can add to some minutes, hours or days to their life. 

- Amisha Yadav