Tuesday, 29 June 2021

इंसानियत से परे।

आज के अतिथि ...
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नमस्ते,
जी, आप कौन?
अरे मुझे नहीं जानते?
मैं ही तो हूं,जिसके वजह से आप हैं,
मैं इंसानियत-मानवता,
आप शायद भूल गए
हम साथ ही रहा करते थे।।

जी, माफ कीजिएगा
आप जब साथ होते हैं 
तो बड़ी परेशानी होती है,
मेहरबानी करके आगे जाइए।।

प्रणाम
जी, आप कौन? 
अरे मुझे नहीं जानते?
मैं ही तो हूं,जिसकी खोज सभी को है,
पर हर किसी को मिलता नहीं,
मैं सत्य हूं।।
अरे आप डर क्यूं रहे हैं?
मेरा साथ तो आपको भय से मुक्ति देगा
और आंतरिक सुख देगा 

जी, माफ कीजिएगा
लेकिन आपका साथ मुझे बर्बाद कर देगा,
समाप्त कर देगा।
ईश्वर के लिए रहम करें
मेहरबानी करके आगे जाइए।।

नमस्कार,
मुझे तो आप जानते ही होंगे!
मैं वो हूं, जो आपको 
धन, दौलत, ऐश्वर्य... 
जो चाहो वो दूंगा, और वो भी बिना परिश्रम के,
बिना कर्म के, बिना सत्य के, बिना धर्म के,

आप असत्य हैं?
निश्चित ही आप असत्य हैं।
आइए भीतर आइए
आपकी ही तो प्रतीक्षा थी,
आपका साथ ही तो सुकून देता है।।


किन्तु आपके साथ लोभ, ईर्ष्या और अधर्म नहीं आए?
चिंता मत करो,

अब जब मैं आ गया हूं, तो वो भी आ जाएंगे।।
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- पुलकित शर्मा

Monday, 21 June 2021

Joker not a Joke !

Irony in the Reality is that,
Joker makes you laugh, though!
But In Actual Game (life) it is always,
Put aside in the packed box!(is it so?)
We Being a JOKER for someone somewhere,
End up lacking to be an ACE Everywhere!
So is it good to be a joker?
With an ACE you can WIN the game,
But,
With a JOKER you can CHANGE the game!
(Go search about joker’s Role in poker!)
Be a Joker, But never be a Joke!
Like,
Be in Friendship, But never demand in it!
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𝐈𝐟 𝐋𝐢𝐟𝐞 𝐢𝐬 𝐚 𝐉𝐨𝐤𝐞,
𝐁𝐞 𝐚 𝐉𝐨𝐤𝐞𝐫 𝐢𝐧 𝐈𝐭!
𝐁𝐮𝐭, 𝐀 𝐉𝐨𝐤𝐞𝐫 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐚𝐧 𝐀𝐜𝐞,
𝐋𝐢𝐟𝐞 𝐢𝐬 𝐚𝐥𝐥 𝐢𝐧 𝐧𝐞𝐞𝐝 𝐰𝐢𝐭𝐡!
𝐀𝐟𝐭𝐞𝐫𝐚𝐥𝐥,
𝐏𝐨𝐤𝐞𝐫 𝐚𝐧𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐉𝐨𝐤𝐞𝐫,
𝐋𝐢𝐟𝐞 𝐢𝐬 𝐚𝐥𝐥 𝐆𝐨𝐢𝐧𝐠 𝐰𝐢𝐭𝐡!
(To be continued…)
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-Saloni Upadhyay 

Sunday, 13 June 2021

मुश्किलें बहुत हैं।


बहुत मुश्किल है,
उन खयालों को कैद करना जो कभी जाने पहचाने थे, 
उन गलियों का सूनापन अब मन को खाता है,
जो हमारी बातों, ठहाकों, शोरगुल को खुद में समेटे हैं,
जहां लोग चबूतरे पर साथ होते थे,
जहां बच्चे तरह-तरह के खेल खेला करते थे, 
वह लहरों के कारण घर में आज सहमे-सहमे है,
दिमाग पर ज़ोर डालना मुश्किल है 
और 
उसको शून्य कर देना बहुत मुश्किल है।
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बहुत मुश्किल है, ये मान लेना कि
दो साल आंख झपकते ही निकल गए।
कितने मौके थे, जो सफ़लता में बदले जा सकते थे।
सफ़लता सुख देती है,
असफ़लता सीख देती है,
लेकिन बिना किसी विकल्प के हम कैसे सोच लें की हम सफल हो सकते थे या असफल हो गए हैं?
हम दो साल किनारे पर खड़े रहे,
क्योंकि नदी पार करने को न कोई नाव थी न कोई ब्रिज।
ऐसा लगता है सब होकर भी कुछ नहीं हुआ।
हजारों घर उजड़ गए, 
मां ने बच्चे को खोया, 
बच्चे ने मां को खोया, 
पिता को खोने के बाद घर पर छत न रही,
रह गया तो अपनों को आखरी बार देख पाने का ग़म, 
दिल में बहुत गहराई है,
किसी को भूल जाना मुश्किल है 
और 
उनकी यादों के साथ जीना 
बहुत मुश्किल है।
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बहुत मुश्किल है आगे सुखद जीवन की कल्पना करना,
भूतकाल में हुई घटनाएं,
वर्तमान को खोखला कर रही हैं,
भविष्य में सूनापन है
चारों तरफ कोहरा छाया है 
इस कोहरे में जीवन रूपी 
गाड़ी को चलाना मुश्किल है 
और 
जीवन का स्थाई रूप से आगे बढ़ाना
बहुत मुश्किल है।
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-यश शक्तावत

Tuesday, 8 June 2021

Not coming back.

Isn't life unfair?
Seeing people around whooping with laughs and you feel like you're the only one struggling. Something within you says you cannot make it the other day, because you are the one surrounded with problems. There you hold grudges against people who used to be your loved ones.
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It's right to feel this way. It's totally okay.
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Umair Haque says, "Suffering Isn’t Optional. Suffering is Inevitable."
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The very first step for any suffering is acceptance. Accept that you are stuck at something and the fact that you are no longer part of someone's life. People cannot always love you the way you love them. That breakup, the death of your beloved ones, the moments that are gone and the acceptance of these is the thing we find hard to do. Its hard because how can you believe something you believed your whole life in? That person, that moment, that love that is no longer there!
We find it so hard to deal with whatever we've been through, we suffer through a balloon of emotions. And to let it all out, cry and cry out your heart, feel it within your veins and every cell of your body and soon you'll become numb to feel the things, the losses and the pains.
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You cannot escape it as much as it hurts, so why not let it be? Go into it, live with the broken deformed parts. Maybe someday you won't be waiting for someone to come back and lift you high.
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Perhaps eventually you'll be jovial. Perhaps you'll be enough for yourself and you will be helping others getting out of their pain.
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It's time to heal
time to grieve
time to let go,
time to help yourself.
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- Abhimanyu Nirban