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नमस्ते,
जी, आप कौन?
अरे मुझे नहीं जानते?
मैं ही तो हूं,जिसके वजह से आप हैं,
मैं इंसानियत-मानवता,
आप शायद भूल गए
हम साथ ही रहा करते थे।।
जी, माफ कीजिएगा
आप जब साथ होते हैं
तो बड़ी परेशानी होती है,
मेहरबानी करके आगे जाइए।।
प्रणाम
जी, आप कौन?
अरे मुझे नहीं जानते?
मैं ही तो हूं,जिसकी खोज सभी को है,
पर हर किसी को मिलता नहीं,
मैं सत्य हूं।।
अरे आप डर क्यूं रहे हैं?
मेरा साथ तो आपको भय से मुक्ति देगा
और आंतरिक सुख देगा
जी, माफ कीजिएगा
लेकिन आपका साथ मुझे बर्बाद कर देगा,
समाप्त कर देगा।
ईश्वर के लिए रहम करें
मेहरबानी करके आगे जाइए।।
नमस्कार,
मुझे तो आप जानते ही होंगे!
मैं वो हूं, जो आपको
धन, दौलत, ऐश्वर्य...
जो चाहो वो दूंगा, और वो भी बिना परिश्रम के,
बिना कर्म के, बिना सत्य के, बिना धर्म के,
आप असत्य हैं?
निश्चित ही आप असत्य हैं।
आइए भीतर आइए
आपकी ही तो प्रतीक्षा थी,
आपका साथ ही तो सुकून देता है।।
किन्तु आपके साथ लोभ, ईर्ष्या और अधर्म नहीं आए?
चिंता मत करो,
अब जब मैं आ गया हूं, तो वो भी आ जाएंगे।।
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- पुलकित शर्मा