Tuesday, 31 August 2021

एहसास।


मन की लहरों पर सवार निर्बाध बहती हुई एक ऐसी अनुभूति जो अभिव्यक्त नहीं की जा सकती है। हर पल हर लम्हा इसका रंग बदलता रहता है। ये शब्द या स्वर की ध्वनि से परे, एक निःशब्द सारे ब्रह्माण्ड को गुंजायमान करता हुआ सा प्रतीत होता है। 
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ये एक ऐसी वीणा है, जिसके तारों की झंकार मन के हर भाव को उद्वेलित कर देती है। 
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ये कभी जीने का संबल होता है तो कभी- कभी ऐसा आघात पहुंचाता है कि सारा संसार छिन्न-भिन्न हो जाता है।
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अच्छे पलों का एहसास मन को हमेशा एक स्फूर्ति प्रदान करता है। एक संबल देता है। वहीं द्वेष का एहसास सारे अस्तित्व को ही नष्ट कर देता है। कभी कभी ये एहसास हमें निरंकुश भी बना देता है और हम बेलगाम घोड़ों के रथ पर सवार, मद में चूर सब कुछ नष्ट करते चले जाते हैं।
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वहीं मन के आवेग पर काबू पाने वाले का एहसास इतना सधा हुआ होता है कि क्रोध-द्वेष-ईर्ष्या कुछ भी उस पर हावी नहीं हो पाते हैं। 
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इसलिए अच्छे एहसास को महसूस करिए। खुश रहिए और मस्त रहिए। यही जीवन है।
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डॉ. रुचि सेठ
(एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, JECRC यूनिवर्सिटी)

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