Sunday, 24 January 2021

मुबारक हो बेटी हुई है !!!


घर को हर रोज़ करती है रोशन जो
सुबह की पहली किरण सी है वो

आंगन की चिड़िया के जैसी है
खुशियां चहकाती है वो

पिता का सम्मान है वो
मां का अभिमान है वो

मगर ना जाने क्या कसूर था उसका 
जो पैदा होने से पहले मारी जाती है वो

कभी कचरे में फेका, 
तो कभी अनाथयाले में छोड़ा
जिसकी किलकारी से गूंजता यह घर सारा 
उसे तुमने बेमौत कोख में मारा

क्या बोझ बनती, जो पराया धन थी तेरा
देवी के रूप में जन्मी थी वो जो कर्ज़ चूकाती तेरा

भाग्य से नहीं सौभाग्य से होती है वो
तेरी पीढ़ी को ना सही मगर पूरे कुल को आगे बढ़ती वो।


-Richa Nigam

29 comments:

  1. Damn true 👏👍👍

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  2. Such a beautiful thing. I love it 😍❤️ Keep going and posting such lovely one.

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