संविधान,मसौदा, कॉन्स्टिट्यूशन, आइन, उपरोक्त पंक्तियां हमारे इसी मसौदे, इसी आइन, इसी संविधान की है। उपरोक्त पंक्तियां सिर्फ प्रस्तावना मात्र नहीं बल्कि ये तो देश के पवित्र ग्रंथ के उद्देश्य का सार बताती है।
बहरहाल, हमारे संविधान दुनिया का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान है जिसे दुनिया के सभी संविधानों में से कुछ-कुछ देखकर और आवश्यकता अनुसार भारतीय संविधान में लागू किया है। भारतीय संविधान का जनक बी. आर. अम्बेडकर को कहा जाता है।
अंग्रेज़ो की गुलामी में रहने और अधिकारों से वंचित रहने के बाद, जब देश आजाद हुआ, तब संविधान बना। संविधान सभा का उद्देश्य देश के नागरिकों को आबाद रखने का था। यानी, मूलभूत अधिकार, जो कि देश के किसी भी नागरिक को उसके जन्म के साथ ही प्राप्त होते है।
और इसी के साथ हमें, समानता, स्वतंत्रता,धार्मिक स्वतंत्रता, संवैधानिक अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार और किसी भी तरह के शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए।
हालांकि, अधिकार का महत्व भी तभी रह पाता है जब नागरिकों को अपने कर्तव्यों का भान हो और इसलिए मूलभूत कर्तव्यों को भी चिन्हित किया गया,जैसी की संविधान का पालन करना, देश की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना, राष्ट्रीय ध्वज का आदर करना आदि जिनका पालन करना हर नागरिक का दाइत्व हो।
भारतीय संविधान के बारे में जब हम और आगे पढ़ते है, तो पाते है कि हम ऐसे पहले जिन्होंने संविधान छुआ छूत यानी कि अस्पृश्यता को हर तरह के धर्म में अवैध माने जाने की बात कही,और इसी के साथ इसमें इस बात का भी ख्याल रखा गया कि देश के अल्पसंख्यक,जैसे कि आदिवासी,खुद को अकेला ना समझे। यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइज यानी की वोट देने के अधिकार पर भी बात की गई और 21 वर्ष तब वोट देने की न्यूनतम उम्र मानी गई।
मगर कई चीजे ऐसी भी हैं जो हमारे संविधान का हिस्सा बाद में बनी, जैसे कि 1976 में भारत का संविधान में खुद को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बताना, हालांकि इससे पूर्व भी ये सभी धर्मो का सम्मान समान रूप से ही करता था, बाल विवाह को 2006 अवैध करार देना, और शादी के लिए लड़का लड़की की न्यूनतम आय 21 और 18 करना।
भारतीय संविधान सुधारो के प्रति कितना प्रगतिशील है, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते है, कि जब आज़ाद भारत में शांताराम कि फिल्म दहेज़ का प्रदर्शन हुआ,उसके बाद से 1962 में दहेज प्रथा को भी कानूनी तौर पर अपराध माना गया, और इसी तरह जब दो आंखें 12 हाथ का प्रदर्शन हुआ,तब ओपन सेल जैसे जेल की संकल्पना को भी साकार किया।
संविधान इस 26 जनवरी को 71 बरस का हो रहा है,वैसे तो इतनी उम्र शरीर को थका देती है,लेकिन भारतीय संविधान,नए नए सुधारो के साथ खुदको और युवा और खूबसूरत बना रहा है।
सुधार किए जा रहे हैं लेकिन जिस तेज़ी से देश प्रगति कर रहा है, संविधान में और भी बदलावों की जरूरत है जैसी की समलैंगिक और ट्रांसजेंडर को समानता के साथ देखा जाए। वे भी हम में से हैं, कुछ समलैंगिक अपनी इच्छा अनुसार हैं जिसकी आज़ादी हमारा संविधान भी देता है और कुछ, ट्रांसजेंडर मजबूरी के कारण जिन्हें वही दर्जा दिया जाना चाहिए जो कि एक आदमी और औरत को दिया जाता है। संविधान में बदलावों से ज़ादा मुश्किल है इन बदलावों को अपनाना। हमारे देश के आधे से ज़ादा प्रतिशत लोग ऐसी चीजों के लिए उन्ही को जिम्मेदार मानते हैं जिसमें उनका कोई बस भी नहीं होता। यह बात सब ही को समझने की आवश्यकता है। ये सोचना इतना भी मुश्किल नहीं की जब तक कोई हमें हानि नहीं पहुंचा रहा तब तक हम उनके विचारों की बखूबी इज्ज़त करनी चाहिए।
इसी आशा के साथ की आने वाले समय में ये संविधान और खूबसूरत होगा,आइए गणतंत्र दिवस दोगुने जोश के साथ मनाते है।
जय हिन्द, जय संविधान।
-पुलकित शर्मा
Bhut sundar
ReplyDeleteDhanyawaad😊
DeleteToo good
ReplyDeleteThese words makes more close to patriotic feeling.
ReplyDelete🙇🏻♀️🇮🇳😊
Deleteउच्च विचार 🙌
ReplyDeleteशुक्रिया😊
Delete🔥🔥🔥🔥
ReplyDelete😊😊😊😊
DeleteSuperbbb 👍
ReplyDeleteThanks😊
DeleteSuperbbb 👍
ReplyDeleteThanks 😊
Delete🔥🔥
ReplyDeleteBhot khoob... 🙏🇮🇳❤️🇮🇳🙏
ReplyDeleteShukriya😊🇮🇳🙇🏻♀️
DeleteBhut khoob
ReplyDeleteDhanyawaad😊
DeleteBahut badhiya
ReplyDeleteShukriya😊
Deleteबहुत खूब 👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद😊
Deletesatyamev jayate.. bahut badhiya bhai
ReplyDeleteThank u😊
DeleteThank you..keep reading😊
ReplyDeleteGreat write more blogs 👍👍
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